
भोपाल. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ के समक्ष भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। युगलपीठ को बताया गया कि त्रासदी के बाद से ही यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में करीब 350 मीट्रिक टन कचरा पड़ा है। इस मामले में केन्द्र सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि उक्त कचरे के विनिष्टीकरण के लिए 129 करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे। मामला वित्त विभाग के पास लंबित है। युगलपीठ ने केन्द्र सरकार को कहा कि इस संबंध में जो भी प्रगति होती है, उसे विधिवत हलफनामे के साथ पेश करें। मामले पर अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता खालिद नूर फखरुद्दीन ने कहा कि पिछले 39 सालों से जहरीला कचरा पड़ा है। याचिका 19 साल से लंबित है। दोनों सरकारें इस मामले में हीलाहवाली कर रही हैं। उन्होंने मांग की है कि कचरे के प्रबंधन में होने वाले खर्च का पूरा हर्जाना आरोपी कंपनी से ही वसूला जाना चाहिए।
भोपाल के आलोक प्रताप सिंह ने वर्ष 2004 में जहरीले कचरे के प्रबंधन के लिए जनहित याचिका दायर की थी। पिछले वर्ष उनकी मृत्यु के बाद हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई स्वत: संज्ञान के रूप में कर रही है। केन्द्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि 19 जून 2023 को ओवरसाइट कमेटी की बैठक हुई थी। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर कमेटी ने केन्द्र सरकार से उक्त कार्य के लिए 129 करोड़ रुपए स्वीकृत करने की अनुशंसा की है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 10 जुलाई को मप्र सरकार के वित्त विभाग को अपेक्षित प्रस्ताव भेज दिया है। शीघ्र ही बजट स्वीकृति के संबंध में फैसला लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बजट की स्वीकृति के संबंध में अगली पेशी पर सुनवाई होगी।