
सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को नेशनल मेडिकल कमिशन (National Medical Commission) को उस शिकायत का जवाब देने का निर्देश दिया कि 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टरों को कोई स्टाइपेंड (Stipend) नहीं देते हैं या न्यूनतम निर्धारित स्टाइपेंड नहीं दे रहे हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) को एक सारणीबद्ध चार्ट दाखिल करने और यह बताने का निर्देश दिया कि
(i) क्या मेडिकल इंटर्न के लिए स्टाइपेंड की कमी के बारे में उपरोक्त बयान सही है और
(ii) एनएमसी इंटर्नशिप स्टाइपेंड के भुगतान के मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब पीठ मेडिकल इंटर्न द्वारा आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसीएमएस) द्वारा वजीफे के भुगतान की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एसीएमएस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कर्नल (सेवानिवृत्त) आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि कॉलेज सशस्त्र कर्मियों के बच्चों की सेवा के इरादे से सेना कल्याण शिक्षा सोसायटी (एडब्ल्यूईएस) द्वारा बिना किसी लाभ के आधार पर चलाए जाते हैं । सीनियर एडवोके वकील ने बताया कि संस्था को कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।