Madhya Prdesh

हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, प्रदेश में नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक रहेगी बरकरार, CBI को सौंपी जांच

मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नर्सिंग परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने से साफ इंकार कर दिया है। नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े को लेकर चल रहे मामले में कोर्ट ने आज तल्ख़ टिप्पणी भी की और प्रदेश के 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंप दी।

हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आज नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले पर अहम सुनवाई हुई,  कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद प्रदेश में नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगाने के 27 फरवरी के अपने अपने फैसले को बरकरार रखा, कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इसे सीबीआई को सौंपने के आदेश भी दिए।

सीबीआई प्रदेश के 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच करेगी, हाई कोर्ट ने सीबीआई को 2020 से कॉलेजों के मापदंडों की जांच करने का आदेश दिया है, हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिए कि वो ये जांच करे कि 2020-21 की स्थिति में कौन से नरसिंह कॉलेज वैध है और कौन से अवैध, यानि इस दौरान कहाँ इंफ़्रास्ट्रचर था, फेकल्टी थी, बच्चों ने कब एडमिशन लिया आदि सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं को जांचें और अपनी रिपोर्ट पेश करे।

सीबीआई ने सुनवाई के दौरान पूर्व में की गई जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत की , जिसमें उसने बताया कि 24 नर्सिंग कॉलेजों की रेंडमली जांच की गई तो उनमें से 6 ऐसे थे जो मानदंडो पर बिलकुल खरे नहीं उतरे जबकि 5 ऐसे थे जहाँ कुछ कुछ अनियमितता मिली।

अब इस मामले में हाई कोर्ट के निर्देश पर मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को भी बनाया पक्षकार बनाया गया है, मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होगी, आपको बता दें कि नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद बीती 27 फरवरी को हाई कोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी।

खास बात ये है कि एडवोकेट दिलीप कुमार शर्मा ने पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष व बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के संज्ञान में लाया कि मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच कालेजों को संबद्धता दी। संबद्धता के बाद 11 से 18 फरवरी 2023 के बीच विद्यार्थियों का नामांकन किया गया। 28 फरवरी 2023 से परीक्षाओं की तारीख घोषित कर दी। परीक्षाएं सत्र 2019-20 व 2020-21 की कराई जा रही हैं। जिनकी परीक्षा कराई जा रही है, उन्होंने चार साल पहले प्रवेश लिया था। बैक डेट में संबद्धता दी गई है। विद्यार्थी भी सत्यापित नहीं हैं।

कोर्ट ने सब तथ्य सामने आने के बाद परीक्षा पर रोक लगा दी थी जिसे सरकार हटवाना चाहती है। लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है , कोर्ट ने परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने से इंकार करते हुए मामले की जांच ही सीबीआई को सौंप दी , अब 12 मई को सीबीआई जो रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत करेगी उसपर क्या फैसला आएगा ये देखने वाली बात होगी।

 

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