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डीके शिवकुमार ने CM चेहरे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का नाम किया आगे, बोले- कर्नाटक में नही रहा है कोई एससी मुख्यमंत्री

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार द्वारा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम लिए जाने के बाद अब कांग्रेस के अंदरूनी गलियारे में इस पर चर्चा तेज हो गई है.

शिवकुमार ने खरगे के नाम का उल्लेख उस समय किया है, जब कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और उनके बीच सीधी प्रतिद्वंद्विता दिख रही है.

खरगे का नाम क्यों किया आगे

पार्टी के भीतर के कुछ लोगों का मानना है कि कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने ‘अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री’ की बहस छेड़कर मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया की संभावना को कुंद करने का प्रयास किया है. शिवकुमार ने गत शनिवार (8अप्रैल) को कहा था कि अगर विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह उनके अधीन काम करने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘मल्लिकार्जुन खरगे मेरे नेता हैं और वह मेरे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) अध्यक्ष हैं. मुझे उनके अधीन काम करना अच्छा लगता है. वह हमारे राज्य और देश के लिए एक संपत्ति हैं. मैं पार्टी द्वारा लिए गए निर्णय के प्रति प्रतिबद्ध हूं.’

पार्टी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है

शिवकुमार ने सोमवार (10अप्रैल) को संवाददाताओं से कहा, ‘पार्टी जो कहती है, उसका हमें पालन करना चाहिए. खरगे पार्टी के प्रमुख हैं, मैं इसे पार्टी पर छोड़ता हूं. सिद्धारमैया और दूसरे लोग पार्टी की बात का पालन करेंगे, पार्टी महत्वपूर्ण है. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के बयान के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने रविवार को कहा था कि सभी लोगों को अलाकमान की बात माननी है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि खरगे 1999, 2004 और 2013 में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सफल नहीं हो पाए थे. कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि खरगे के राज्य की राजनीति में लौटने की संभावना बहुत कम है. वहीं पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘खरगे काग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर (उन्हें) बड़ी भूमिका निभानी है.’

कर्नाटक में नहीं रहा है कोई एससी मुख्यमंत्री

कर्नाटक में कभी कोई एससी मुख्यमंत्री नहीं रहा और कांग्रेस के भीतर नेताओं का एक धड़ा इसके लिए दबाव बनाता रहा है कि पार्टी को किसी अनुसूचित जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाने पर विचार करना चाहिए क्योंकि पार्टी के पास इस समुदाय के कई सक्षम नेता हैं. राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने हाल में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं.

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