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पीएम मोदी ने शुरू किया ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान, जानें क्या है बीजेपी का पूरा प्लान

नई दिल्ली/भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों की सेवा करते हुए उनसे मेलजोल बढ़ाने और इसके माध्यम से पार्टी को मजबूती देने का संदेश दिया है। ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ (Mera Booth Sabse Mazboot) कार्यक्रम के तहत भाजपा के दस लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी को जमीनी स्तर पर और मजबूत बनाने के लिए लोगों के दिलों में अपनी अच्छी छवि और जगह बनाने का सिलसिला तेज करना होगा। भाजपा हर चुनाव से पहले इस तरह बूथों को मजबूत करने का कार्यक्रम करती है। माना जा रहा है कि जिस तरह विपक्षी दलों ने एकजुट होकर पीएम मोदी को रोकने की योजना बनाई है, उसे कई राज्यों में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि ऐसे माहौल में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ जैसे कार्यक्रमों का महत्व बढ़ गया है।

दस लाख से ज्यादा बूथों पर पड़े थे वोट 

चुनाव आयोग की सूचना के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में दस लाख से ज्यादा पोलिंग बूथों पर वोट डाले गए थे। भाजपा ने इस चुनाव में कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने यह महसूस किया था कि वह कम से कम 100 लोकसभा क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कमजोर है। उसका मानना था कि चुनावी समीकरणों में उसने जीत अवश्य हासिल कर ली है, लेकिन इन लोकसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर काफी कम था, और कड़े मुकाबले में उसे इन सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि उसने एक योजना बनाकर इन सीटों पर 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

इसी योजना को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने गत वर्ष अप्रैल में केंद्रीय महासचिव सीटी रवि के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी को देश के 74 हजार बूथों पर पार्टी को मजबूत करने के लिए उपयुक्त योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इनमें अल्पसंख्यक, दलित और जनजातीय मतदाताओं की बहुलता वाले बूथों को प्रमुखता से शामिल किया गया था। समिति ने पाया था कि कम से कम 38 हजार और ऐसे बूथ हैं जहाँ पार्टी को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है।

हिमाचल-कर्नाटक चुनाव से बदले समीकरण

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में मिली हार के बाद पार्टी ने बूथ स्तर पर अपनी तैयारियों को नया रूप देने की योजना बनाई है। इनमें जिन बूथों पर कम अंतर से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, उनमें ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क कर पार्टी को मजबूत किये जाने की योजना है। अब ऐसे कुल बूथों की संख्या लगभग 1.25 लाख हो गई है। इन पर पार्टी को मजबूत किये जाने का काम चल रहा है।

हारी सीटों पर भी काम 

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार का स्वाद चखा था, उनमें से भी 100 विशेष सीटों की पहचान की गई है। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि इन सौ सीटों पर बेहतर मैनेजमेंट किया जाए तो इनमें जीत की राह निकल सकती है। ये सीटें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में हैं। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन लोकसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाया जा रहा है।  इस प्रकार कम अंतर से 2019 चुनाव में जीती 100 सीटों और हारी हुई 100 लोकसभा सीटों पर पार्टी को मजबूत करने के लिए बूथ संकल्प का मंत्र कार्यकर्ताओं को पढ़ाया जा रहा है जिससे 2024 की लड़ाई में वह मजबूती से उतर सके।

हिमाचल की हर विधानसभा में 30 बूथों को मजबूत करने का लक्ष्य

हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भी विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसे देखते हुए लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। राज्य के कुल 7883 बूथों में से 2440 ऐसे बूथों की पहचान की गई है जहां पार्टी की स्थिति कमजोर है और उसे मजबूत किये जाने की आवश्यकता है। प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में हर एक पर न्यूनतम 30 बूथों पर पार्टी को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है।

मोदी की लोकप्रियता बरकरार, 2024 भी जीतने का भरोसा 

भारतीय जनता पार्टी के नेता जयराम विप्लव ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार बरकरार है। पार्टी उनके नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव जीतेगी और लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह 2014 और  2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दिल्ली सहित कई राज्यों में सभी सीटों पर सफलता हासिल की थी, उसी तरह इस बार भी दिल्ली सहित कई राज्यों में भाजपा हर सीट पर जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकता भाजपा की जीत का लय रोकने में असफल साबित होगी। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता की सेवा के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं तो विपक्ष के पास प्रधानमंत्री को सत्ता से हटाने के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। ऐसे में उन्हें विश्वास है कि जनता नकारात्मक मुद्दे पर विपक्ष को अपना समर्थन नहीं देगी

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