
भोपाल। सागर जिले की बंडा विधानसभा एक ऐसी सीट है जहां कभी भी पासा पलट जाता है। कभी दमदार तो कभी कमजोर प्रत्याशी भी जीतने में सफल हो जाते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस इस सीट को अपने पक्ष में करने के बराबरी के अवसर देख रहे हैं। वर्तमान में यहां कांग्रेस के तरवर सिंह लोधी विधायक हैं, लेकिन भाजपा इस सीट को छीनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 1957 से अस्तित्व में आई बंडा विधानसभा सीट पर 14 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें 6 बार कांग्रेस, दो बार जनसंघ, एक बार जनता पार्टी और पांच बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है।
इस क्षेत्र से बाहरी प्रत्याशी भी चुनाव जीतते रहे हैं। केवल भाजपा के हरनाम सिंह राठौर ही ऐसे रहे जिन्हें बंडा क्षेत्र की जनता ने चार बार अपना प्रतिनिधि चुना। इनके अलावा कोई भी नेता दूसरी बार इस सीट से विधायक नहीं बन पाया। बंडा विधानसभा में लोधी और यादव समाज के मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है। तरबर सिंह लोधी ने कांग्रेस से टिकट लेकर बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाईं और विधायक बने।
बीते एक वर्ष से यहां बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा मतदाताओं में जातीय आधार पर घृणा का वातावरण बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके पीछे सीधा उद्देश्य यही बताया जा रहा है कि एक बिरादरी का ही इस सीट पर कब्जा हो। दरअसल इस विधान सभा क्षेत्र में विकास से ज्यादा जातीय समीकरण अधिक प्रभावी हो गए।
इन्हीं कारणों से क्षेत्र के विकास और दलित-पिछड़ों के उत्थान की राजनीति करने वाले रंजोर सिंह बुंदेला अपनी रणनीति के चलते इस विधानसभा चुनाव में पिछले दो दशक में पहली बार ग्राउंड लेवल पर बेहद मजबूत नजर आ रही है। इसका नतीज़ा यह हो रहा है कि जातिगत राजनैतिक स्वरों के स्थान पर दलित, पिछड़े, किसान और युवाओं में एकजुटता की आवाज बुलंद हो रही है।
इनके बीच हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
1. तरबर सिंह लोधी – अपने पहले चुनाव में ही तरबर लोधी पर बंडा की जनता ने जमकर विश्वास दिखाया था। कांग्रेस में गुटबाजी की अपनी शैली है। कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी को 2023 में मुश्किल कम होती नजर नहीं आ रही है। तरवर को अपनी ही पार्टी के पूर्व विधायक नारायण प्रजापति से चुनौती मिल रही है। देखना यह है कि कांग्रेस अगला प्रत्याशी किसे घोषित करती है।
2. बीरेंद्र लंबरदार – बंडा से बीजेपी ने वीरेंद्र सिंंह लोधी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वीरेंद्र सिंंह लोधी बंडा के लंबरदार परिवार से आते हैं। उनके पिता स्व. शिवराज सिंह लोधी दमोह लोकसभा से सांसद और बड़ामलहरा सीट से विधायक रह चुके हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई रामरक्षपाल सिंह लोधी ने बीजेपी की तरफ से 2008 में बंडा से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के नारायण प्रजापति ने उन्हें 1925 मतों से हराया था।
3. रंजोर सिंह बुंदेला – रंजोर सिंह बुंदेला काफी समय से बंडा और शाहगढ़ में सक्रिय दिखाई दे रहे थे और ऐसा माना भी जा रहा था कि बीजेपी इस बार रंजोर सिंह बुंदेला को चुनावी मैदान में उतार सकती है। हालांकि नाम घोषित होने के बाद अब रंजोर सिंह बुंदेला निर्दलीय या अन्य किसी पार्टी से मैदान में उतरेंगे ये समय ही बताएगा। बुंदेला का दलित एवं पिछड़े वर्ग में खासा प्रभाव है।
बंडा विधानसभा सीट
बंडा सीट पर लंबे समय तक बीजेपी का कब्जा रहा है। यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता रहा है। बीएसपी यहाँ त्रिकोणीय मुकाबला बना देती है। पिछले तीन चुनाव से बीएसपी ने इलाके में पैर जमाना शुरू कर दिया है। बीएसपी की बढ़त ने दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। इलाके में एससी,एसटी, लोधी, यादव और क्षत्रिय समुदाय के मतदाता प्रभावी भूमिका में होते है। 2011 की जनगणना के मुताबिक बंडा विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या 47 हजार और अनुसूचित जनजाति वोटर्स की संख्या 25 हजार के आस पास है। एससी व एसटी दोनों वर्ग चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते है।
कब-कब कौन, किस पार्टी के विधायक बने
2018 में कांग्रेस से तरवर सिंह लोधी
2013 में बीजेपी से हरवंश सिंह
2008 में कांग्रेस से नारायण प्रसाद
2003 में बीजेपी से हरनाम सिंह राठौर
1998 में बीजेपी से हरनाम सिंह राठौर
1993 में कांग्रेस से संतोष कुमार साहू
1990 में बीजेपी से हरनाम सिंह राठौर
1985 में बीजेपी से हरनाम सिंह राठौर
1980 में कांग्रेस से प्रेम नारायण गोरेलाल
1977 में जेएनपी से शिवराज सिंह