
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रदेश
के सभी नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच कराने के आदेश जारी किए हैं. युगलपीठ ने सीबीआई को तीन महीने में जांच कर
रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने उस याचिका के आधार पर सीबीआई जांच के आदेश जारी किए हैं, जिसमें कहा
गया था कि 55 कॉलेज फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं.
इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. अधिकांश
कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में
प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.
याचिका में हाईकोर्ट को दी येजानकारी:
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया- “एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल हैं. फैक्टली भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है. जिस कॉलेज में वो काम कर रही हैं, उनकी दूरी भी सैकड़ों किलोमीटर दूर है. इसके अलावा माइग्रेट और डुप्लीकेट फैक्लटी का मामला भी याचिकाकर्ता की तरफ से उठाया गया.
इसमें कहा गया कि पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग राजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित
कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बाद भी सरकार ने
प्रशासक को हटाकर रजिस्टार को नियुक्त कर दिया. इसके अलावा पूर्व रजिस्टार के खिलाफ सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की गई.
इसके बाद युगलपीठ नेडीएमई को तलब किया था.
इधर, डीएमई अरुण श्रीवास्तव नेव्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर माफी मांगी. पूर्व रजिस्टार के खिलाफ उचित कार्रवाई से
जुड़ा शपथ पत्र प्रस्तुत किया.
संयुक्त कार्रवाई में कॉलेजों ने क्या बताया?:
याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई के दौरान अनावेदक कॉलेज की तरफ से बताया गया- “ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के 650 मेडिकल कॉलेजों में से 364 कॉलेजों की सीबीआई के आदेश जारी किये थे. सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों को क्लीन चीट प्रदान की गई है. उनके एग्जाम करवाए जाने के अनुमति प्रदान की जाए. याचिकाकर्ताकी तरफ से तर्क किया गया कि फैक्टरी के संबंध मेंसीबीआई ने जांच नहीं की है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए.”