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अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन पर संगोष्ठी का आयोजन

हिंदी विश्वविद्यालय में भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर खेम सिंह डेहरिया कुलपति अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय, मुख्य वक्ता डॉ मोहन तिवारी तुलसी साहित्य अकादमी, शाश्वत अतिथि डॉ मुकेश मिश्रा निर्देशक दतोपंत ठेगडी संस्थान भोपाल उपस्थित रहे.

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ मोहन तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर असाधारण प्रतिभा के धनी थे उनका मूल रूप से जन्म भारत में समतामूलक संस्कृति का विकास करने के लिए हुआ था आज भी उनके किए गए कार्य भारत के संविधान में शिल्पकार की भूमिका निभाई आज हम उनको याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने के लिए कृत संकल्प है और आधुनिक भारत की कल्पना उनके आदर्शों के बिना नहीं की जा सकती ,सारस्वत अतिथि डॉ मुकेश मिश्रा ने अपने उद्बोधन में बताया भारत एक भौगोलिक रूप से विशाल देश , साथ ही विभिन्न संस्कृतियों से भरा हुआ देश है डॉक्टर अंबेडकर के विचार समरसता मूल्य थे वह देश में जाति व्यवस्था को खत्म करके एक अग्रिम भारत की कल्पना करते थे और उसी के अनुरूप उन्होंने समरसता का संदेश संविधान ने दिया है.

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर खेमसिंह डेहरिया कुलपति अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय ने अपनी ओजस्वी उद्बोधन मैं बताया डॉक्टर अंबेडकर अपने विचारों से सिर्फ भारत के ही शिल्पकार नहीं अपितु वैश्विक रूप से समरसता लाने के लिए उनके प्रयासों को कोई भुला नहीं सकता उनके व्यक्तित्व अद्भुत ओजस्विता थी कि वह अपने लेखन और पठन से लोगों को अपना बना लेते थे साथ ही एक अग्नि भारत के रूप में जाति व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक भारत की कल्पना उनके द्वारा लिखित संविधान में की गई कार्यक्रम में आभार कुलसचिव जसवंत पटेल ने व्यक्ति किया संयोजक प्रोफेसर राजीव वर्मा संचालन अनीता चौबे, डॉक्टर कमीनी पसीने डॉ गौरव गुप्ता डॉ आशीष नकाशे डॉक्टर भूपेन सुल्लेरे डॉक्टर सविता वागडे एवं समस्त शिक्षक विद्यार्थी कर्मचारी उपस्थित रहे

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