
नवरात्र पर्व और दीपावली के त्यौहार के बीच प्रदेश में होने वाले चुनाव प्रचार में राजनेता पूजा के बहाने सभा नहीं कर सकेंगे। धार्मिक कार्यक्रमों के साथ धार्मिक स्थलों के मामले में भी चुनाव आयोग ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। इसमें कहा है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कलेक्टर और उनके अधीनस्थ अफसर किसी भी धार्मिक स्थल के परिसर में सभा की अनुमति नहीं दे सकेंगे। चुनाव आयोग ने इस मामले में सख्त हिदायत देते हुए अनुमति देते वक्त इसका ध्यान रखने को कहा है।
इसके साथ ही राजनीतिक दलों को जुलूस एवं रैली की अनुमति देने में यह स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि जुलूस व रैली किन-किन मार्गों से गुजरेगी तथा उसका समापन कहां होगा। दो राजनैतिक दलों को एक ही समय में एक ही स्थान पर सभा की अनुमति नहीं होगी। सभाओं के बीच में कम से कम तीन घंटे का अंतर रखा जाएगा।
सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस में नहीं होंगी राजनीतिक बैठकें
आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि चुनाव आचार संहिता के दायरे में जिलों और विकासखंड व अन्य स्थानों पर बनाए गए सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस भी रहेंगे। इन स्थलों की गतिविधियों पर भी नजर रखने के निर्देश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने कलेक्टरों को दिए हैं। इसमें कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत जिले के सभी विश्राम भवनों को अधिग्रहीत किया जाकर कार्यवाही की जाना है। विश्राम गृह भवनों के नियंत्रणकर्ता अधिकारी नियम और निर्देशों का पालन करेंगे। उन्हें कहा गया है कि विश्राम गृहों का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा।
विश्राम गृह परिसर में निर्वाचन की आदर्श आचरण संहिता का पालन कराना होगा। जिला दंडाधिकारी की अनुमति के बिना विश्रामगृह किसी अन्य को आवंटित नहीं किया जाएगा। विश्रामगृह की विद्युत, पेयजल, सफाई, आवश्यक फर्नीचर, क्रॉकरी और खानसामा व स्टाफ संबंधी अन्य व्यवस्थाएं नियंत्रक अधिकारी द्वारा परिसर में की जाएंगी। एसडीएम संबंधित नियंत्रणकर्ता के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्र के विश्राम गृहों पर आवश्यक व्यवस्था करेंगे।
राजनेताओं के उत्तेजक वक्तव्यों पर रहेगी नजर
कलेक्टरों से कहा है कि निर्वाचन गतिविधियों में संलग्न विभिन्न राजनैतिक दलों व उनके कार्यकर्ताओं द्वारा आम सभा, जुलूस, रैली आदि का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान राजनैतिक दलों, व्यक्तियों द्वारा प्रचार-प्रसार के दौरान एक दूसरे के विरुद्ध उत्तेजक शब्दों का प्रयोग करने की संभावना है, जिससे तनाव पूर्ण स्थिति निर्मित हो सकती है। इसलिए इस पर नजर रखी जाए। साथ ही जिलों में कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के पास शस्त्र लाइसेंस भी हैं।
जिसे वे आम सभा, जुलूस के दौरान शस्त्र धारण कर उसका दुरुपयोग कर सकते हैं, इससे अप्रिय घटना घटित होने एवं क्षेत्र की शांति एवं कानून व्यवस्था प्रभावित होने की प्रबल आशंका है। इसलिए कानून व्यवस्था बनाए रखने, मानव जीवन की सुरक्षा एवं लोकशांति बनाये रखने के लिए शस्त्रों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना व प्रचलित शस्त्र लाइसेंस को निलंबित करना आवश्यक है। सभी के शस्त्र जमा होने चाहिए।
लाउड स्पीकर का लाउड लिमिट में रहे
चुनाव आयोग के निर्देश पर जिलों में कलेक्टरों से कहा है कि सभाएं, जुलूस, रैली आयोजित करने तथा ऐसी सभा, जुलूस में लाउड स्पीकर के उपयोग करने की अनुमति देने के लिये संबधित विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर को प्राधिकृत अधिकारी होंगे। ध्वनि विस्तारक यंत्र (लाउड स्पीकर) का उपयोग धीमी गति से किया जाएगा। ध्वनि विस्तारक यंत्र की अनुमति ग्रामीण, नगर पालिका और निगम क्षेत्र के बाहर की सीमा में पूर्वाह्न 6 बजे से अपराह्न 11 बजे तक तथा अन्य क्षेत्रों में जो निगम अथवा नगर पालिका क्षेत्र की सीमा में आते हैं। उन क्षेत्र में पूर्वाह्न 6 बजे अपराह्न 10 बजे तक के मध्य होगी।
पंचायतों पर भी रखना होंगी निगाहें
निर्वाचन की प्रक्रिया पूरा होने तक जिला पंचायत, जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों पर आदर्श आचरण संहिता लागू रहेगी। कोई भी अधिकारी तथा कर्मचारी इस अवधि में राजनैतिक गतिविधि में किसी भी रूप में शामिल नहीं होगा। पंचायत के अधीन अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
पंचायत क्षेत्र में किसी भी तरह के नए भवन निर्माण अथवा मौजूदा भवन में परिवर्तन की अनुमति नहीं दी जाएगी। पंचायत के खर्च पर ऐसा कोई विज्ञापन या पंपलेट जारी नहीं किया जाएगा। जिसमें पंचायत की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार हो। किसी भी हितग्राही मूलक योजना में नवीन हितग्राही का चयन इस अवधि में नहीं होगा।