
नई दिल्ली/ भोपाल/साँची। मध्य प्रदेश के साँची में दुनिया का पहला भारतीय ज्ञान और बौद्ध अध्ययन विश्वविद्यालय भारतीय दर्शन, एशिया के कला शिल्प और कौशल के अध्ययन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बुद्ध स्टडीज की पढ़ाई होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विदेशी छात्रों का सर्वाधिक रुझान साँची बौद्ध-भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय में देखने को मिल रहा है। वर्तमान में 15 देशों के छात्र बौद्ध स्टडीज के लिए साँची बौद्ध विश्वविद्यालय का रुख कर रहे हैं।
भगवान बुद्ध ने विश्व को अहिसा का संदेश दिया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी विश्व के कोने-कोने में हैं। बुद्ध स्टडीज का केंद्र पूर्व में दिल्ली हुआ करता था, लेकिन अब साँची बौद्ध-भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय हो गया है। इसका प्रमुख कारण यहां पर संचालित विभिन्न कोर्स है। इस बार छात्रों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है। कोर्स में प्रवेश के लिए प्रक्रिया चल रही है, अभी तक 100 से अधिक छात्रों ने आवेदन कर दिया है। विश्वविद्यालय में बौद्ध स्टडीज में बीए, एमए, पीएचडी, बौद्ध पर्यटन, पाली भाषा व साहित्य में डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन किया जाता है। बौद्ध स्टडीज में 90 प्रतिशत से अधिक रुझान विदेशी छात्रों का होता है।
इन देशों के छात्र आते हैं शिक्षा ग्रहण करने
प्रमुख रूप से वियतनाम, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड, चीन, साउथ कोरिया, भूटान, ताइवान, रोमानिया, कोरिया, अफगानिस्तान, नेपाल, मंगोलिया व अमेरिका के छात्र बौद्ध स्टडीज के लिए आते हैं। इसमें वियतनाम से आने वाले छात्रों की संख्या अधिक होती है।
युद्ध और आतंकवाद से जूझ रही दुनिया में युवाओं को भारतीय दर्शन एवं बौद्ध चिंतन से परिचित कराने का यह सही समय है। समाज तेजी से उपभोक्तावादी होता जा रहा है, जिसके कारण व्यक्ति भय, तनाव एवं चिंता से ग्रस्त है। वर्तमान समाज में एक सुसंगत समझ और मूल्य की आवश्यकता हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर साँची बौद्ध विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में विदेशी विद्यार्थियों का रुझान विश्वविद्यालय की ओर बढ़ा है।
प्रो. अलकेश चतुर्वेदी, कुलसचिव, साँची बौद्ध भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय