
नई दिल्ली : विश्व बैंक ने छत्तीसगढ़ में सरकार संचालित स्कूलों की क्वालिटी एजुकेश में सुधार के लिए 300 मिलियन डॉलर देने की मंजूरी दी है.
यह लोन 18.5 साल के लिए होगा और इतने साल में लोन न चुका पाने पर 5 साल की राहत (grace period) मिलेगी. विश्व बैंक की मंगलवार को जारी एक रिलीज के मुताबिक, जिसमें इस वैश्विक वित्तीय संस्था ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट का मकसद 4 मिलियन छात्रों को फायदा पहुंचाना है जो कि राज्य के ज्यादातर गरीब और कमजोर समुदायों के बच्चे हैं.
विश्व बैंक ने कहा, सीनियर सेकेंड्री स्कूलों में विज्ञान और वाणिज्य शिक्षा की अन-उपलब्धता है और विज्ञान और गणित के प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी है. “राज्य में 86% स्कूल सरकार द्वारा संचालित हैं. प्रारंभिक स्तर विद्यालयों में नामांकन 95 फीसदी है, वहीं यह सीनियर सेकेंड्री लेवल पर 57.6 प्रतिशत है और लड़कों का नामांकन लड़कियों के मुकाबले 10.8 प्रतिशत कम है.”
इसके अलावा जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे लैबोरेटीज और सुविधाओं की कमी भी कम नामांकन की वजह है. दूर-दराज के छात्रों को रहने (आवास) की समस्या का सामना करना पड़ता है.
विश्व बैंक ने कहा जबकि लड़कियों के लिए केंद्र प्रायोजित ‘समग्र शिक्षा प्रोग्राम’ के तहत आवासीय स्कूल सुविधाएं हैं वहीं लड़कों के लिए इस तरह की कोई योजना नहीं है.